मराठी भाषेची प्रशस्ति
जैसी हरळामाजी रत्नकिळा।
कीं रत्नामाजी हिरा निळा।
तैसी भाषांमाजी चोखळा।
भाषा मराठी।।१।।
जैसी पुष्पांमाजी पुष्प मोगरी।
कीं परिमळांमाजि कस्तुरी।
तैसी भाषांमाजी साजिरी।
मराठियां।।२।।
पखियांमधें मयोरु।
रुखियांमधे कल्पतरु।
भाषांमधें मानु थोरू।
मराठियेसी।।३।।
तारांमधे बारा राशी।
सप्तवारांमाजी रवि-शशी।
या दीपिचेयी भाषांमधे तैसी।
बोली मराठीया।।४।।
- ख्रिस्तदास थॉमस स्टीफन्स
No comments:
Post a Comment